हम जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं?
बहुत समय पहले, मथुरा नगरी में कंस नामक एक अत्याचारी राजा का शासन था। कंस की बहन देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ था। एक दिन, जब कंस अपनी बहन को उसके ससुराल छोड़ने जा रहा था, तभी एक भविष्यवाणी हुई कि देवकी की आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इस भविष्यवाणी से भयभीत होकर कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया।
कारागार में, देवकी ने एक-एक करके सात पुत्रों को जन्म दिया, जिन्हें कंस ने जन्म होते ही मार डाला। जब आठवीं संतान का जन्म होने वाला था, तो एक अद्भुत घटना घटी। आधी रात को, जब चारों ओर घना अंधेरा था, देवकी ने भगवान श्रीकृष्ण को जन्म दिया। उसी समय, कारागार के सभी द्वार अपने आप खुल गए और पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वासुदेव ने श्रीकृष्ण को एक टोकरी में रखा और यमुना नदी पार कर नंदगांव पहुंचे, जहां उन्होंने श्रीकृष्ण को यशोदा और नंदबाबा के पास छोड़ दिया और यशोदा की नवजात कन्या को लेकर वापस कारागार लौट आए।
कंस ने जब उस कन्या को मारने का प्रयास किया, तो वह कन्या देवी दुर्गा के रूप में प्रकट हुई और कंस को चेतावनी दी कि उसका वध करने वाला जन्म ले चुका है और सही समय पर उसका अंत करेगा। इस प्रकार, भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा नगरी में जन्म लिया और आगे चलकर कंस का वध किया, जिससे मथुरा के लोगों को अत्याचार से मुक्ति मिली।
जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की इस अद्भुत कथा को याद करने और उनके जीवन से प्रेरणा लेने के लिए मनाया जाता है⁵⁷। इस दिन, भक्तगण व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, और रातभर भजन-कीर्तन करते हैं। आधी रात को श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान के बाल रूप की पूजा की जाती है⁸।
क्या आप भी जन्माष्टमी के इस पर्व को मनाते हैं? अगर हां, तो आपके यहां इसे कैसे मनाया जाता है?
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